आस्था के शक्तिपुंज पर माथा टेकने देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु


श्री दरबार साहिब, श्री झण्डा साहिब परिसर में शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर हुआ श्री झण्डे जी का आरोहण

श्री गुरु राम राय जी महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में बाज ने दिए दर्शन, संगतें हुई निहाल
मेला समिति की अपील का दिखा असर, सीमित संख्या में उपस्थित हुईं संगतें
देहरादून, (गढ़वाल का विकास न्यूज)। आस्था के महाकुंभ श्री झण्डे जी मेले का साक्षी बनने के लिए साल भर देश-दुनिया की संगतें इंतजार करती हैं। शुक्रवार को हज़ारों श्रद्धालुओं व संगतों की उपस्थिति में दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज परिसर में एतिहासिक श्री झण्डे जी (पवित्र ध्वज दण्ड) का आरोहण हुआ। श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के दिशा निर्देशन में 2ः12 मिनट पर श्री झण्डे जी का आरोहण किया गया। श्री गुरु महाराज जी के जयकारों से द्रोणनगरी धन्य धन्य हो गई। कोविड-19 गाइडलाइन अनुपालन के चलते पिछले सालों की तुलना में इस बार संगतें काफी कम संख्या में मौजूद रहीं। दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज, श्री झण्डा जी मेला आयोजन समिति विभिन्न माध्यमों से लगतार संगतों से सीमित संख्या में आने की अपील कर रही थी, उसी का यह प्रभाव रहा कि श्री झण्डा जी आरोहण मुख्य कार्यक्रम के दौरान सीमित संख्या में संगतें उपस्थित रहीं।
शुक्रवार सुबह 7ः00 बजे श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ पुराने श्रीझण्डे जी (ध्वज दण्ड) को उतारा गया। श्रीझण्डे जी को उतारने के लिए संगतें श्री झण्डे जी के नीचे एकत्र हो गईं। श्री झण्डे जी को उतरते व फिर चढ़ते देखना अपने आप में अद्भुत एवम अद्वितीय नज़ारा है। इस पुण्य को अर्जित करने के लिए देश-विदेश से आई संगतें इस पावन बेला का साल भर बेसब्री से इंतजार करती हैं। श्री झण्डे जी पर विशेष पूजा अर्चना की गई। श्री झण्डे जी (पवित्र ध्वज दण्ड) को संगतों ने सुबह दूध, घी, शहद, गंगाजल व पंचगब्यों से स्नान करवाया।
इस बार 86 फीट ऊंचे (ध्वजदण्ड) श्री झण्डे जी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह कि इस दौरान श्री झण्डे जी को ज़मीन पर नहीं रखा जाता। संगतें अपनी हाथों पर झण्डे जी को थामे रहती हैं। जैसे-जैसे झण्डे जी पर गिलाफ के आवरण चढ़ाने का क्रम बढ़ता जाता, संगतों का उत्साह भी पराकाष्ठा तक पहुंचता जाता। दोपहर करीब 12ः40 बजे तक श्री झण्डे जी पर सादे व शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया चली।
दोपहर करीब 1ः00 बजे श्री झण्डे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया। दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही व श्री झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही श्री गुरु राम राय महाराज जी के जयकारों की ध्वनि भी तेज हो उठी। दोपहर 2ः00 बजे नए मखमली वस्त्र और सुनहरे गोटों से सुसज्जित श्री झंडे जी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ होने का दृश्य देखकर श्रद्धालुओं के श्रद्धाभाव आंखों से छलक आए। हर कोई दर्शनी गिलाफ को छूकर पुण्य अर्जित करने के लिए उत्सुक दिखा।
श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के दिशा-निर्देशन में श्री झण्डे जी के नीचे लगी कैंचियों को थामे श्रद्धालुजन श्री झंडे जी को उठा रहे थे। पूरा श्री दरबार साहिब परिसर, श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठा। दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर जैसे ही श्री दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की अगुआई में श्रीझण्डे जी का आरोहण हुआ, वैसे ही पूरी द्रोणनगरी श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठी। श्रद्धालुओं ने श्री गुरु महाराज जी के जयकारे लगाए व ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। इसी दौरान एक बाज ने श्री झण्डे जी की परिक्रमा की। श्री झण्डे जी के आरोहण के समय बाज की इस चमत्कारी उपस्थिति को श्री गुरु राम राय जी महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में हर साल दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही खुशियों में सराबोर श्रद्धालु एक बार फिर झूमने लगे।